
IIT BHU से पढ़ाई कर बनाई मल्टीनेशनल कंपनी में जगह
बिलकुल! नीचे आदित्य वत्स की कहानी को विस्तार से एक न्यूज़ आर्टिकल के रूप में लिखा गया है। यह प्रेरणादायक रिपोर्ट वेबसाइट, न्यूज चैनल, ब्लॉग या मैगज़ीन के लिए पूरी तरह उपयुक्त है:
“सपने देखने वालों की नहीं, उन्हें पूरा करने वालों की कहानी इतिहास में दर्ज होती है।” यह पंक्ति पूरी तरह फिट बैठती है बिहार के गया ज़िले के एक छोटे से गांव से निकलने वाले आदित्य वत्स पर, जिन्होंने कठिन परिस्थितियों के बावजूद 68 लाख रुपये के सालाना पैकेज के साथ एक प्रतिष्ठित मल्टीनेशनल कंपनी में जगह बनाई है।
गांव से IIT तक का सफर
आदित्य वत्स का जन्म गया जिले के बरवाडीह गांव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ। उनके पिता श्री रमेश वत्स खेती करते हैं और मां गृहिणी हैं। सीमित संसाधनों और बिजली, इंटरनेट जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी के बावजूद आदित्य ने बचपन से ही पढ़ाई में गहरी रुचि दिखाई।
सरकारी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने 12वीं की पढ़ाई पटना के एक कोचिंग संस्थान से की और पहले ही प्रयास में IIT-JEE जैसे कठिन परीक्षा में शानदार रैंक हासिल कर IIT (BHU), वाराणसी में दाखिला लिया।
तकनीकी ज्ञान और संघर्ष की मिसाल
IIT BHU में उन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में दाखिला लिया और चार सालों तक उन्होंने न सिर्फ तकनीकी ज्ञान अर्जित किया बल्कि विभिन्न प्रोजेक्ट्स, हैकाथॉन और ओपन-सोर्स प्रोग्राम्स में हिस्सा लेकर अपनी स्किल्स को निखारा। कॉलेज के अंतिम वर्ष में एक टेक्नोलॉजी आधारित मल्टीनेशनल कंपनी ने उन्हें कैंपस प्लेसमेंट के ज़रिए ₹68 लाख रुपये/वर्ष के पैकेज पर सॉफ्टवेयर डेवलपर की भूमिका ऑफर की।
आदित्य की ज़ुबानी
आदित्य कहते हैं,
“मुझे अपने गांव की मिट्टी पर गर्व है। मेरी सफलता मेरे माता-पिता के त्याग और मेरी खुद की मेहनत का नतीजा है। मैं चाहता हूं कि बिहार और देश के हर गांव से बच्चे आगे आएं और दिखा दें कि काबिलियत किसी संसाधन की मोहताज नहीं होती।”
गांव में जश्न का माहौल
जैसे ही यह खबर गांव में फैली, पूरे इलाके में खुशी की लहर दौड़ गई। स्कूल के शिक्षक, दोस्त, रिश्तेदार और गांववाले आदित्य की इस उपलब्धि को एक मिसाल मानते हुए जश्न मना रहे हैं। यह सफलता सिर्फ एक छात्र की नहीं, बल्कि उस सोच की जीत है जो कहती है कि “कुछ भी असंभव नहीं।”
प्रेरणा हर युवा के लिए
आदित्य वत्स की कहानी आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा है। यह दिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो छोटे से गांव से निकलकर भी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में जगह बनाई जा सकती है।
लेखक: [Best News]
तारीख: 15 मई 2025